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P114, Kumbha Marg, Sector-11, Pratapnagar, Jaipur-302033
"पुराने गर्म कपड़े लाओ" एक अनोखी और संवेदनशील पहल है, जिसका उद्देश्य उन बच्चों तक गर्म कपड़े पहुंचाना है जो ठंड के मौसम में सबसे ज़्यादा असुरक्षित होते हैं — विशेष रूप से 6 महीने से लेकर 5 साल तक की उम्र के बच्चे।
इस कार्यक्रम में अभिभावकों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे अपने छोटे बच्चों के साथ आएं और पुराने लेकिन साफ-सुथरे गर्म कपड़े दान करें। इससे बच्चों में दान देने की भावना बचपन से ही विकसित होती है और ज़रूरतमंदों तक राहत पहुँचती है।
कल्पना कीजिए एक ऐसे माता-पिता की, जिनकी बच्ची अब 4 साल की हो गई है। उनके पास ढेर सारे ऊनी कपड़े हैं जो अब फिट नहीं आते। जब वे अपनी बच्ची के साथ आकर वह जैकेट किसी ज़रूरतमंद बच्चे को देते हैं — तो सिर्फ कपड़ा नहीं, एक मुस्कान भी दान होती है।
यह पहल सिर्फ वस्त्र दान नहीं है — यह करुणा, शिक्षा और समाज के लिए साझा जिम्मेदारी का एक रूप है।
संग्रह केंद्रों की संख्या बढ़ाना
→ हर क्षेत्र में एक नज़दीकी केंद्र बनाएं जहाँ लोग आसानी से कपड़े जमा कर सकें।
प्रमाण पत्र या 'थैंक यू कार्ड' बच्चों के लिए
→ दान करने वाले बच्चों को एक छोटा प्रमाण पत्र या थैंक यू कार्ड दिया जाए ताकि उन्हें गर्व महसूस हो।
पूर्व सफाई और पैकेजिंग व्यवस्था
→ कपड़े इकट्ठा करने के बाद उन्हें धुलवाकर साफ-सुथरे ढंग से पैक किया जाए।
कहानी-शेयरिंग सेशन
→ जो परिवार दान करते हैं, उन्हें मंच दिया जाए कि वे क्यों यह कर रहे हैं, क्या अनुभव हुआ।
ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम
→ कौन से कपड़े कहां गए, यह दिखाने के लिए एक सादा वेबसाइट या Google Form लिंक।
"मेरे कपड़े, किसी और की गर्मी" नाम की गैलरी
→ जहां दान किए गए कपड़ों और बच्चों की तस्वीरें (अनुमति से) साझा की जाएं।
बच्चों के लिए कलरिंग कॉर्नर
→ कार्यक्रम स्थल पर बच्चों के लिए एक ड्रॉइंग/कलरिंग क्षेत्र ताकि उनका अनुभव मजेदार हो।
फीडबैक वॉल
→ जहां दानकर्ता अपने विचार, अनुभव या बच्चों की प्रतिक्रिया लिख सकें।
एक दिन का ‘आभार उत्सव’ (Gratitude Day)
→ सभी दानकर्ताओं को बुलाकर एक छोटा धन्यवाद समारोह।
QR कोड लिंक
→ कपड़े के साथ एक QR कोड जो यह दिखाए कि कपड़े किस बच्चे को मिले (यदि संभव हो)।
इस तरह की पहलें समाज में उम्मीद और संवेदना की लौ जलाती हैं।
जब एक बच्चा, अपने पुराने कपड़े किसी और को देने आता है — वह सिर्फ दान नहीं करता, वह सीखता है "हम एक-दूसरे की देखभाल कैसे करें"।